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Chandrayaan-3 मिशन की सफल लैंडिंग के 10 दिन बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा एक और अंतरिक्ष यान की 2 सितंबर 2023 में प्रक्षेपण की गई है. जिसका नाम आदित्य L1 है. आदित्य L1 एक उपग्रह है. Aditya L1 चंद्रयान को विशेष रूप से सूर्य वातावरण का अध्ययन करने के लिए तैयार किया गया है.
Aditya L1 का मुख्य मिशन प्रीति भी इससे लगभग 1:30 मिलियन किलोमीटर दूरी पर पृथ्वी और सूर्य के बीच एल्बम यानी की लैंग्वेज बिंदु के चारों और एक प्रमंडल कक्ष में आदित्य L1 चंद्रयान परिक्रमा करेगा और सौर्य वायुमंडल और चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के चारों ओर के वातावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन करना है. आइए जानते आदित्य एल मिशन के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार में.
Table of Contents
आदित्य एल की विवरण
अंतरिक्ष यान के नाम | आदित्य एल 1 (Aditya L1 ) |
मिशन की प्रकार | शौर्य अवलोकन |
मिशन कीऑपरेटर | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) |
मिशन की अवधि | 5 वर्ष 2 महीना |
यांकी उत्पादक | इसरो/ आइए आइए/ आईयूसीएए |
यान की वजन | 1475 किलोग्राम ( 3252 पाउंड) |
पेलोड की वजन | 244 किलोग्राम ( 538 पाउंड) |
रॉकेट | पी एस एल एक्स एल |
प्रक्षेपण की स्थान | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
प्रक्षेपण की तारीख | 2 सितंबर 2023 |
प्रक्षेपण के समय | 11:50 AM |
आधिकारिक वेबसाइट | www.isro.gov.in/Aditya_L1.html |
Aditya L1 मिशन क्या है ?
भारतीय अंतरिक्ष रिसर्च स्पेस द्वारा चंद्रमा के साउथ पोल पर chandrayaan-3 की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद भारतीय अंतरिक्षा अनुसंधान संगठन ( इसरो ) के वैज्ञानिकों की अगला मिशन सूरज पर हैं. और इसके लिए इसरो ने दो सितंबर 2023 में एक मिशन को लांच किया इस मिशन का नाम Aditya L1 दिया गया है. इस मिशन का दूसरा नाम सूर्ययान से भी जाना जाता है. इसरो के अनुसार इस मिशन के अंतर्गत वैज्ञानिकों द्वारा सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन की स्टडी की जाएगी. इसका मतलब सौर्य में होने वाली आज की विस्फोटक और सूरत से निकलने वाली आग के लपेट की अनुसंधान किया जाएगा.

Aditya L1 की इतिहास
आदित्य मिशन की परिकल्पना 2008 जनवरी में ही अंतरिक्ष विज्ञान सलाहकार समिति द्वारा की गई थी. लेकिन शुरुआत में इसकी परिकल्पना सौर कोरोनोग्राफ अध्ययन करने के लिए पृथ्वी के सबसे कम कक्षा 800 किलोमीटर के लिए 400 किलोग्राम का एक छोटा सा उपग्रह के रूप में तैयार की करने की योजना बनाई गई थी.
इसके लिए वर्ष 2016 – 17 के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रायोगिक बजट आवंटित किया गया था. लेकिन बाद में फिर मिशन का दायरा बढ़ाया गया और यह लैग्रेंज बिंदु एल1 पर स्थित सौर्य और अंतरिक्ष पर्यावरण वेधशाला बन गया है. इसलिए भी इस मिशन का नाम बदलकर आदित्य एल कर दिया गया है. आपको बता दें 2019 तक इस मिशन को लंच लागत को छोड़कर कुल 378 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है.
Aditya L1 की नाम का मतलब
आखिर क्यों इस मिशन का नाम आदित्य एल पड़ा, इसके बारे में एक छोटा सा चर्चा करते हैं, हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य खराब प्रतिनिधित्व करने वाले हिंदू देवता के नाम पर रखा गया है. इसीलिए यह नाम एक हिंदू धर्म के अनुसार आदित्य रखा गया है. और L1 का मतलब लैग्रेंज बिंदु 1 को दर्शाता है. जिसका मतलब आकाशीय यांत्रिकी में विशाल परिक्रमा करने वाले पिंडों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के तहत छोटे द्रव्यमान वाली वस्तुओं के लिए संतुलन बिंदु होता है. जो सूर्य और पृथ्वी के बीच अंतरिक्ष यान का गंतव्य है.
Aditya L1 में L1 पॉइंट का मतलब क्या है ?
भारतीय अनुसंधान रिसर्च सेंटर द्वारा सूरज में होने वाली आग के विस्फोट तथा गतिविधि की रिसर्च करने के लिए आदित्य L1 मिशन को लांच किया गया है. आदित्य L1 में ए1 का जो नाम रखा गया है, उसका मतलब जो सूरज और पृथ्वी के बीच की ऐसी दूरी होती है. जहां पर सूरज और पृथ्वी दोनों का ही गुरुत्वाकर्षण बिल्कुल ही जीरो होता है.
अर्थात उस जगह पर ना सूर्य की ग्रेविटी गुरुत्वाकर्षण किसी भी चीज को खींच पाती है और ना ही पृथ्वी की ग्रेविटी गुरुत्वाकर्षण उस चीज को खींच पाती है. जिससे L1 यानी कि लैंग्रेजियन पॉइंट भी कहा जाता है. इसलिए यह पॉइंट एक ऐसी जगह होता है जहां पर आसानी से सूरज पर अध्ययन की जा सकती है.
क्योंकि इस जगह पर सूर्य और पृथ्वी दोनों का ही गुरुत्वाकर्षण बल बिल्कुल नहीं रहता है. इसीलिए इसरो द्वारा L1 पॉइंट को चुना है और इसी पॉइंट में रह के सूर्य का ए स्टडी किया जाएगा. आपको बता दें पृथ्वी से इस L1 पॉइंट तक की दूरी करीब 1500000 किलोमीटर है.

Aditya L1 सेटेलाइट को कहां रखा जाएगा
Aditya-L1 मिशन के तहत कोई भी सेटेलाइट को बिल्कुल L1 कक्ष पर ही रखा जाएगा क्योंकि उसके आगे सेटेलाइट बिल्कुल भी नहीं जा सकती है. इसका मुख्य वजह जैसे ही सेटेलाइट L1 कक्षा से आगे जाएगी. तो सूरज की गर्मी सैटेलाइट को नष्ट कर देगी. इसीलिए सैटेलाइट एल वन कक्षा पर रह के आदित्य एंड मिशन के तहत इसरो के वैज्ञानिक सूर्य की अध्ययन करेगी. क्योंकि L1 कक्षा बिल्कुल सेफ कक्षा है.
Aditya L1 मिशन के उद्देश्य
- शौर्य की क्रोमोस्फीयर और कोरोनल की गतिशीलता का निरीक्षण करना ( कोरोनल की गतिशीलता मतलब किसी तारे के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत जिसमें प्लाज्मा होता है.)
- क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा के भौतिकी , कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और उनकी उत्पत्ति, कोरोनल चुंबकीय क्षेत्र और गर्मी हस्तांतरण तंत्र, और फ्लेयर एक्सचेंज का अध्ययन करेगा और उसकी स्थिति के आसपास बहुत ही कारण वातावरण का निरीक्षण करना.
- शौर्य में होने वाली विस्फोट का अध्ययन करेगा.
- अंतरिक्ष के मौसम और सौर्य वायुमंडल की उत्पत्ति संरचना और गतिशीलता का अध्ययन करेगा.
Aditya L1 मिशन की मकसद और रिसर्च
Aditya L1 लॉन्च होने के बाद L1 बिंदु के चारों और हेलो कक्षा तक पहुंचने में करीब 109 दिन लगाएगा. जो पृथ्वी से लगभग 1500000 किलोमीटर यानी कि 900030 मील की दूरी में है. आदित्य L1 अंतरिक्ष यान को प्रति वर्ष 0.2-4 मीटर सेकंड के स्टेशन कीपिंग पर बनाए रखते हुए अपने मिशन की अवधि के लिए हेलो कक्षा में रहने की योजना बनाई गई है.
Aditya L1 अंतरिक्ष यान कुल 15 100 किलोग्राम का है और यह यान विभिन्न उद्देश्यों के लिए कुल 7 पायलट को लेकर जाएगा. जिसमें कोरोनल हीटिंग , सौर पवन त्वरण, कोरोनल मैग्नेटोमेट्री, निकट-यूवी सौर विकिरण की उत्पत्ति और निगरानी को मापने के लिए जैसे उपकरण शामिल हैं। जिसका काम पृथ्वी की ऊपरी वायुमंडलीय गतिशीलता और वैश्विक जलवायु को संचालित करना और सूर्य मंडल मंडल में होने वाली शौर्य विस्फोटक चोरियां चुंबकीय तूफान कि अध्ययन करेगा.
ऐसी तो सौर्य मंडल के भौतिक क्षेत्र में प्रमुख अनसुलझी समस्याओं में से एक यह है कि सूर्य के ऊपरी वायुमंडल का तापमान 1,000,000 K यानी कि 1,000,000 सेल्सियस 1800000 फॉरेनहाइट है. जबकि निचले वायुमंडल का तापमान केवल 6000 k यानी कि 5,730 सेल्सियस; 10,340 फॉरेनहाइट है.
जिसके कारण यह बिल्कुल भी समझ में नहीं आता है कि सूर्य का विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल की गतिशीलता को छोटे और लंबे समय के पैमाने पर अपनी से प्रभावित करता है. इसलिए आदित्य एल मिशन को सूर्य के वायुमंडल की विभिन्न नफरतों की लगभग एक साथ छवियां प्राप्त करेगा जिससे ऊर्जा को एक परत से दूसरे परत तक ट्रांसफर करने और ट्रांसफर करने के तरीकों की पता चल सके.
इसलिए आदित्य एल मिशन सूर्य की गति सील प्रक्रियाओं की बड़े पैमाने पर समझ को सक्षम करेगा और सौर्य मंडल में हो रही गतिविधियों में कुछ उत्कृष्ट समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करेगा.
Aditya L1 पर कितने पैलोड हैं
Aditya-L1 शौर्य बात आवरण और मुख्य रूप से क्रोमोस्फीयर और कोरोनल का निरीक्षण करने के लिए तैयार किया गया है. यान के अंदर कुल 7 पेलोड हैं.इन-सीटू उपकरण L1 जिसका काम स्थानीय वातावरण का निरीक्षण करना और बाकी चार सूर्य की रिमोट सेटिंग के लिएऔर इन-सीटूकी अवलोकन के लिए तैयार किया गया है. सारे पैरोट को देश की विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा इसरो केंद्रों के करीबी के सहयोग से तैयार किया गया है.

प्रकार | क्र.सं | पेलोड | क्षमता | प्रयोगशालाओं |
रिमोट सेंसिंग पेलोड | 1 | दृश्यमान उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) | कोरोना /इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी | भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान , बैंगलोर |
2 | सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) | फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर इमेजिंग- संकीर्ण और ब्रॉडबैंड | इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स , पुणे | |
3 | सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) | सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर : सूर्य-जैसा-तारा अवलोकन | यूआर राव सैटेलाइट सेंटर , बेंगलुरु | |
4 | उच्च ऊर्जा L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) | हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर : सूर्य-जैसा-तारा अवलोकन | ||
इन-सीटू पेलोड | 5 | आदित्य सौर पवन कण प्रयोग (ASPEX) | सौर पवन /कण विश्लेषक प्रोटॉन और दिशाओं के साथ भारी आयन | भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला , अहमदाबाद |
6 | आदित्य के लिए प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज (PAPA) | सौर पवन /कण विश्लेषक इलेक्ट्रॉन और भारी आयन दिशाओं के साथ | अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र , तिरुवनंतपुरम | |
7 | उन्नत त्रि-अक्षीय उच्च रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर | इन-सीटू चुंबकीय क्षेत्र (बीएक्स, बाय और बीजेड)। | इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला , बैंगलोर |
Aditya L1 मिशन की लॉन्चिंग
Aditya L1 मिशन पूर्ण रूप से सूरज की रिसर्च करने के लिए इसरो द्वारा चलाई गई एक मिशन है. इस मिशन के तहत सूर्य में होने वाली गतिविधियों पर स्टडी करना है. आपको बता दें Aditya L1 मिशन के तहत इस Aditya L1 मिशन का लंच 2 सितंबर 2023 को 11:50 पर लंच कर दी गई है. योहान ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान(PSLV-C57) है.
इस यान को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक Aditya L1 का प्रक्षेपण किया गया. यान ने एक घंटा 3 मिनट 20 सेकंड यानी कि 12:00 बज के 54 मिनट में Aditya L1 ने पृथ्वी के चारों ओर एक अंडाकार कक्षा में एक सफल प्रक्षेपण हासिल किया था.
आपको बता दें आदित्य L1 को L1 बिंदु तक पहुंचने से पहले पृथ्वी से जुड़ी चार कक्षीय गतिविधियों की एक श्रृंखला से गुजारना होगा. और अंत में लांचिंग के लगभग 127 दिन के बाद आदित्य L1 अपने निर्धारित कक्षा L1 तक पहुंचने का अनुमान है.

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FAQs
Q. Aditya L1 मिशन क्या है ?
Ans – सूरज के रिसर्च के लिए लांच किया गया एक मिशन है.
Q. Aditya L1 मिशन को कहां से लांच किया गया ?
Ans – श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
Q. Aditya L1 मिशन को कब लांच किया गया ?
Ans – 2 सितंबर 2023 11:00 बज के 50 मिनट में
Q. Aditya L1 को सूर्य तक पहुंचने में कितना वक्त लगेगा ?
Ans – लगभग 127 दिन
Q. आदित्य L1 मिशन में कौन सी राकेट है ?
Ans – PSLV-C57
Q. आदित्य L1 मिशन कितने दिनों के लिए है ?
Ans – 5 वर्ष 2 महीना