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Khatu Shyam Mandir : खाटू श्याम मंदिर राजस्थान, 332404, Special Mandir, दर्शन व यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी,

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खाटू श्याम मंदिर  हिंदू धर्म के एक पवित्र तीर्थ स्थल  है.  खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir)भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले की सीकर शहर से 43 किलोमीटर दूर खाटू नाम के गांव में अवस्थित एक हिंदू धर्म के पवित्र स्थल खाटू श्याम मंदिर है.  खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण और बर्बरीक की पूजा के लिए पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है.

जिन्हें अक्सर कुल देवता के रूप में भी पूजा जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस मंदिर में बर्बरीक या खाटू श्यामा का सिर है जो एक महान योद्धा हुआ करते थे.  जिन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण के अनुरोध पर  अपना सिर का बलिदान दिया था. आइए जानते हैं खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir) के बारे में विस्तार में.

Table of Contents

मंदिर का नामखाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir )
संबंधहिंदू धर्म
देवअसभ्य
जगह का नामखाटू गांव सीकर शहर के पास राजस्थान
राज्यराजस्थान
देशभारत 
आधिकारिक वेबसाइटwww.khatu-shyam.in 

खाटू श्याम मंदिर की कहानी (Khatu Shyam Mandir Story )

समय उस टाइम का है जब महाभारत की युद्ध शुरू होने से पहले, बर्बरीक नाम के योद्धा ने भगवान कृष्ण की रामू अपनी अंतिम इच्छा जताते हुए बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को कहा कि वह संपूर्ण महाभारत की युद्ध देखने का इच्छा जाहिर की. उसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वयं बर्बरीक की सर एक पहाड़ की चोटी पर रख दिया था.  उसके बाद कलयुग शुरू होने के कई साल बाद बर्बरीक की  सर राजस्थान के खाटू गांव  के जमीन पर दफन पाया गया था.

कहा जाता है कि कलयुग का शुरू होने के काफी समय बाद तक यह स्थान अस्पष्ट हुआ करता था.  फिर कई सालों के बाद एक अवसर पर जब एक गाय बर्बरीक की सर दफन स्थल के पास पहुंचती है. उस स्थान पर गाय को पहुंचते ही गाय के थन से अपने आप दूध की धारा निकलने  लगा था.  इस घटना के कारण खाटू गांव के लोगों पर खलबली मच जाती है.  ऐसे में लोग आश्चर्यचकित होकर .  सारे ग्रामीण इकट्ठा होकर बर्बरीक की सर जहां पर दफन थी उस जगह पर खुदाई करने लगते हैं.

खुदाई के क्रम में वहां पर ग्रामीण को एक  सिर मिलती है.  और  उक्त सिरको ग्रामीण लोग एक ब्राह्मण को सौंप देते हैं. वह ब्राह्मण पुष्कर का कई दिनों तक पूजा करने लगता है. उसके बाद वह ब्राह्मण दिव्य रहस्य उद्घाटन की प्रतीक्षा करता है. और आगे इस सिरका क्या किया जाए इसके बारे में सोचने लगता है. इसी वक्त खाटू के राजा रूप सिंह चौहान को एक स्वप्न आता है जिसमें राजा को एक मंदिर बनाने और उसमें बर्बरीक की सिर को स्थापित करने की प्रेरणा मिलती है.

स्वप्न के बाद राजा ने खाटू में एक भव्य मंदिर बनाने की इच्छा जताते हुए आदेश देता है.  इसके बाद एक मंदिर बनाया जाता है. उसके बाद बर्बरीक की सिर को और मूर्ति को फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष के 11 दिन स्थापित किया गया. 

खाटू श्याम मूल मंदिर का निर्माण 1027 ई. में रूप सिंह चौहान ने करवाया था. कहा जाता है कि उस वक्त जब रूप सिंह चौहान के पत्नी नर्मदा कंवर ने दबी हुई मूर्ति के बारे में सपना देखा था. जिस स्थान में से सर निकाली गई थी उससे श्यामा कुंड कहा जाता है. 1720 ईसा पूर्व मारवाड़ के तत्कालीन शासक के आदेश पर दीवान अभय सिंह राजा ने पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. 

इस समय मंदिर में अपना वर्तमान आकार ले लिया था और मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया था.  आपको बता दें कि यह मूर्ति दुर्लभ पत्थर से बनी है.  खाटू श्यामा कई परिवारों के देखता है. 

खाटू श्याम जी की मंदिर के पीछे की कहानी (Story of Behind Khatu Shyam Mandir )

हिंदू  शास्त्रों और पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले ही, बर्बरीक नाम के एक बहुत ही शक्तिशाली योद्धा हुआ करता था. उसने युद्ध में कमजोर पक्ष का फंक्शन लेने का फैसला किया था ताकि वह निष्पक्ष रह सके. बाद में परिवहन स्वरूप दोनों पक्ष का पूर्ण विनाश हो जाता है. 

और अंत में केवल बर्बरीक ही एकमात्र जीवित बच जाता है.  ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने ऐसे विनाशकारी परिस्थितियों में बचने के लिए बर्बरीक से उसका सर मांगा था. जिसके लिए बर्बरीक तुरंत समाप्त हो गए और भगवान श्री कृष्ण  की भक्ति से अत्यंत  प्रसन्न हुए और बर्बरीक के महान बलिदान से उन्होंने उसे वरदान दिया.  जिसके अनुसार बर्बरीक को कलयुग यानी कि वर्तमान समय में भगवान कृष्ण के ही नाम श्यामा जी के नाम से जाना जाएगा. 

खाटू श्याम मंदिर का निर्माण ( Khatu Shyam Mandir Contraction )

 जब युद्ध के बाद  भगवान श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक के सिर को वरदान स्वरूप देकर रुपावती नदी में बहा दिया था.  तब एक कलयुग का शुरुआत बहाद सिरको राजस्थान के खाटू गांव में एक ऐसे स्थान पर दफनाया गया था जो कलयुग शुरू होने तक अदृश्य था. एक दिन जब एक गाय उस दफना स्थल को पार कर रही थी तब  गाय के थानों से अपने आप दूध  निकलने लगता है. 

उस वक्त गांव के लोग हैरान होकर उस जगह की खुदाई कर देती है.  खुदाई के वक्त गांव वालों को  बर्बरीक कि दफनाए गए सिर मिलती है. और उस सर को  ब्राह्मण के हाथ सौंप देते हैं.  बाद में खाटू गांव के राजा स्वरूप सिंह चौहान को एक सपना आता है.  स्वप्ना में उन्हें पुष्कर को एक मंदिर के अंदर स्थापित करने के लिए कहा जाता है.  उसके बाद रूप सिंह चौहान के द्वारा गांव में एक मंदिर बनाया जाता है और वहां पर उस सिरका स्थापित किया  गया.

खाटू श्याम मंदिर की वास्तुशिल्प  और विशेषताएं (Khatu Shyam Mandir Advantage)

खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir) वास्तुकला की दृष्टि से समृद्ध है.  संरचना के निर्माण में चुना  मोर्टार, संगमरमर और टाइल्स का उपयोग किया गया है.  मंदिर के  गर्भगृह के पट सोने की चादर से ढके हुए हैं.  साथ ही मंदिर के बाहर कक्ष में जगमोहन नाम का प्रार्थना कक्ष अवस्थित है.  और यह प्रार्थना तथ्य एक हाल आकार में बड़ा है.

प्रार्थना पत्र के दीवारों पर पौराणिक विषयों को चित्रण करते हुए विस्तृत रूप से चित्रित किया गया है.  साथ है खाटू श्याम मंदिर की प्रवेश द्वार और निकास द्वार संगमरमर से बना हुआ है.  और मंदिर के ब्रैकेट और सजावट की पुष्प की डिजाइन भी संगमरमर से ही बना हुआ है.

खाटू श्याम मंदिर के पास कुंड में स्नान (Khatu Shyam Mandir Near of Kund )

मंदिर के पास ही एक पवित्र तालाब है जिसे श्यामा कुंड कहा जाता है.  कहा जाता है कि  यह वही स्थान है जहां पर गांव वालों ने खुदाई करके बर्बरीक कि सर को निकाला गया था.  और यह जगह एक तालाब में  परिवर्तन हो गया.

भक्तों का कहना है कि इस तालाब में डुबकी लगाने से व्यक्ति अपनी बीमारियों से ठीक हो सकते हैं और  उन्हें अच्छा स्वास्थ्य मिल सकता है. कहा जाता है कि हर साल आयोजित होने वाले फाल्गुन मेला महोत्सव के दौरान श्यामा कुंड में स्नान करना विशेष लाभकारी माना जाता है.

 खाटू श्याम मंदिर में होने वाली आरती (Khatu Shyam Mandir Aarti )

 खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir) में प्रतिदिन 5 आरतियां की जाती है. आरती के दौरान  मंत्र उच्चारण और आरती से उत्पन्न ना भक्ति पूर्ण माहौल और शांति  अतुलनीय है और यदि आप इस खूबसूरत मंदिर की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो आप को इनमें से किसी एक आरती में शामिल होने का प्रयास जरूर करना चाहिए.

 मंगला आरती :- यह सुबह-सुबह की जाती है जब मंदिर भक्तों के लिए अपने द्वार खोलता है.

शृंगार आरती :- यह उस समय की आरती है जब खाटू श्याम  जी की मूर्ति को आरती के साथ साथ भव्य रूप से सजाया भी जाता है.

 भोग आरती  :- दिन के तीसरा आरती यह दोपहर के समय की जाती है जब भगवान को भोग का प्रसाद परोसा जाता है.

 संध्या आरती :- यह आरती शाम को सूर्यास्त के समय की जाती है.

 सयाना आरती :- जब रात हो जाती है जब मंदिर बंद होने से पहले दयाला आरती की जाती है इन सभी समूहों में दो विशेष भजन गाए जाते हैं यह श्री श्याम आरती और श्री श्याम विनती.

 खाटू श्याम मंदिर कि परिसर (Khatu Shyam Mandir Premises )

 मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने एक खुली जगह है. मंदिर के पास ही श्याम बगीचा है जहां से लाए गए पुष्प से भगवान को चढ़ाए जाते हैं. आपको बता दें कि उस बगीचे में एक महान भक्त आलू सिंह की समाधि भी अवस्थित है.

 खाटू श्याम मंदिर परिसर (Khatu Shyam Mandir) के पास एक पवित्र तालाब है जिसका नाम श्याम कुंड है.  कहा जाता है कि इस तालाब से बाबा श्याम का शीष निकाला गया था. इस तालाब में श्रद्धालु स्नान करके खाटू नरेश की पूजा आजा करते हैं.  वहीं पर गोपीनाथ मंदिर मुख्य मंदिर के दक्षिण पूर्व में अवस्थित है.  जहां गौरी शंकर मंदिर भी पास में ही है. 

आपको बता दें कि गौरी शंकर मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के कुछ सैनिक इस मंदिर को नष्ट करना चाहते थे.  जिसके लिए सैनिक ने मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर अपने भाला से हमला भी किया था.  जब हमला किया था उसी वक्त तुरंत शिवलिंगम से रक्त के फव्वारे प्रकट हुए थे. जिसको देख के डर से भयभीत होकर सैनिक वहां से भाग जाते हैं.  कहा जाता है कि शिव लिंगम पर वाले का निशान आज भी देखा जा सकता है. 

खाटू श्याम मंदिर कि प्रशासन और सुविधाएं (Khatu Shyam Mandir Administration & Facility )

खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir)  जिस सार्वजनिक ट्रस्ट के पास मंदिर का प्रभार है,  वह ट्रस्ट कि पंजीकरण संख्या  3/86  के तहत पंजीकृत किया गया है.  खाटू श्याम मंदिर का प्रबंधक 7 सदस्य समिति मिल कर देती है.  मंदिर समिति हर साल गांव में त्योहारों और अन्य महत्वपूर्ण  कार्यक्रमों की प्रबंध और आयोजन करती है.

यह सार्वजनिक ट्रस्ट मंदिर के प्रमुख त्यौहार के आयोजन के लिए सबसे जिम्मेदार संस्था में से एक माना जाता है.  यह ट्रस्ट उत्सव के कार्यक्रम के समय प्रसाद की तैयारी,  वेरी कटिंग,  सर सफाई,  अस्थाई व्यवस्था,  पानी की सुविधा,  बिजली आपूर्ति,  जनरेटर की व्यवस्था,  सजावट की व्यवस्था,  साउंड सिस्टम की व्यवस्था,  बैरियर की तैयारी,  वीडियो कवरेज की व्यवस्था,  क्लोज सर्किट टीवी इत्यादि की व्यवस्था ट्रस्ट की ओर से ही की जाती है.

खाटू श्याम मंदिर का समय (Khatu Shyam Mandir Time Table )

 सर्दी के मौसम में  मंदिर सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहती है.

 ग्रीष्म ऋतु में मंदिर सुबह 4:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुली रहती है.

 खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचे (How to Arrived Khatu Shyam Mandir )

 यदि आप भी खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir) की  तीर्थ यात्रा करना चाहते हैं. तो खाटू श्याम मंदिर तक सड़क और ट्रेन के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है.  मंदिर का  नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस जंक्शन (RJS)  है,  जो मंदिर से लगभग 17 किलोमीटर दूर है. स्टेशन से आपको कई  ट्रांसपोर्ट मिल जाते हैं जिसमें निजी या शाहजहां दोनों शामिल है. 

जो आपको मंदिर तक ले जाएगी. यदि आप  रेल से यात्रा करके आना चाहते हैं तो दिल्ली और जयपुर से रींगस की कई सारे ट्रेनें चलती है जिसमें आप बैठकर आसानी से पहुंच सकते हैं.  यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है जहां से आप सड़क मार्ग से सीधे मंदिर तक यात्रा कर सकते हैं.

सबसे अच्छा मार्ग में से सवाई जयसिंह राजमार्ग है जो जयपुर सीकर रोड से आगरा बीकानेर रोड तक है,  जिससे एन एच 11  के रूप में भी जाना जाता है.  जयपुर और खाटू के बीच कई निजी और सरकारी बसें भी चलती है इसकी मदद से आप आसानी से मुकाम तक पहुंच सकते हैं.

खाटू श्याम मंदिर की पता ( Khatu Shyam Mandir Address )

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FAQs

Q. खाटू श्याम बाबा का मंदिर कौन से शहर में है?

A. राजस्थान के सीकर शहर के खाटू गांव में है.

Q. खाटू श्याम जी कब जाना चाहिए?

A. खाटू श्याम मंदिर आप 12 महीने में कभी भी जा सकते हैं लेकिन फागू पूर्णिमा में विशेष उत्सव रहता है.

Q. खाटू श्याम मंदिर कौन से दिन बंद रहता है?

A. गुरुवार को

Q. where is khatu shyam mandir ?

A. राजस्थान के सीकर शहर के खाटू गांव

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