Lotus Temple (कमल मंदिर)
इस लेख में हम जानेंगे भारत के राजधानी दिल्ली में अवस्थित लोटस टेंपल के बारे में, लोटस टेंपल कमल फूल के जैसे आकार में बना हुआ एक मंदिर है जो बहाई धर्म का पूजा घर के रूप में जाना जाता है. बहाई धर्म एक स्वतंत्र धर्म है जो इराक के बगदाद शहर में युगवतार बहाउल्लाह ने स्थापित किया था. लोटस टेंपल दिल्ली के एक प्रमुख आकर्षण पर्यटन स्थल में से एक माना जाता है. और यह मंदिर सभी धर्म जातियों के लिए खुला रहता है.
Lotus Temple कुल 27 बड़े-बड़े पंखुड़ियों से बनी है. और लोटस टेंपल बनाने में ग्रीस से लाए गए खड़ी संगमरमर से बनाई गई है. मंदिर के कुल चारों और 9 दरवाजे हैं और केंद्रीय हाल में खुलते हैं. जिसकी ऊंचाई 34 मीटर से अधिक है. लोटस टेंपल की क्षमता कुल 1300 लोग का है. आइए जानते हैं विस्तार में लोटस टेंपल से जुड़ी संपूर्ण जानकारी.
Table of Contents
Lotus Temple की विवरण
मंदिर का नाम | Lotus Temple ( कमल मंदिर ) |
मंदिर का प्रकार | उपासना स्थल |
वास्तुकला | अभिव्यंजना आत्मक |
निर्माण संपन्ना | 1978 |
जनता के लिए सार्वजनिक | 1978 |
मंदिर की स्थान | नई दिल्ली भारत |
वास्तुकार | फ़रीबर्ज़ सहबा |
संबंधित धर्म | बहाई धर्म |
आधिकारिक वेबसाइट | https://bahaihouseofworship.in/ |
Lotus Temple का इतिहास
Lotus Temple की इतिहास के बारे में बात किया जाए तो लोटस टेंपल दिल्ली में अवस्थित एक बहाई धर्म का पूजा घर है. इस मंदिर को मशरिकुल-अधकार के नाम से भी जाना जाता है. लोटस टेंपल को 1986 दिसंबर से सार्वजनिक रूप से जनता के लिए खोल दिया गया था. यह मंदिर बहाई धर्म के मंदिरों की तरह यह भी एक मानवता की एकता के लिए समर्पित है.और लोटस टेंपल में सभी धर्मों के लोगों के लिए पूजा और अपने धर्म ग्रंथों को पढ़ने के लिए यहां एकत्रित होने के लिए स्वागत करती है.
लोटस टेंपल एक ऐसी टेंपल है जो पूरे एशिया में सिर्फ एक मात्र लोटस टेंपल है. इसलिए भी दुनिया भर में स्थित सात प्रमुख बहाई पूजा घरों में से एक लोटस टेंपल को माना जाता है. लोटस टेंपल की डिजाइन के बारे में बात किया जाए तो ईरान के एक वास्तुकार फ़रीबोरज़ साहबा को 1976 में उनसे संपर्क किया गया था और बाद में उन्होंने इसके निर्माण की रेट पर की साथ ही लोटस टेंपल की संरचना डिजाइन 18 महीने के दौरान यूके की फार्म ली फ़रीबोरज़ साहबा द्वारा किया गया था. रूहियिह ख़ानम ने 19 अक्टूबर 1977 में लोटस टेंपल की आधारशिला रखी थी.
साथ ही Lotus Temple को बनाने के लिए इसकी जमीन खरीदने के लिए आवश्यक धनराशि का बड़ा हिस्सा हैदराबाद सिंध के अर्दिशिर रुस्तमपुर द्वारा दान किया गया था जिनकी वसीयत में तय हुआ था कि उनकी पूरी जिंदगी की बचत मंदिर के निर्माण में खर्च की जाएगी. साथ ही लोटस टेंपल की निर्माण बजट का एक हिस्सा स्वदेशी पौधों और फूलों का अध्ययन करने के लिए ग्रीन हाउस बनाने के लिए और उसमें उपयोग करने के लिए भी बचाया गया था. 24 सितंबर 1986 को मंदिर सार्वजनिक रूप से जनता के लिए समर्पित की गई.
इस समर्पण के लिए 107 देशों से 8000 से ज्यादा बहाईयों अनुयाई का जमावड़ा हुआ था जिसमें भारत के 22 प्रांतों से लगभग 4000 बहाई शामिल थे. लोटस टेंपल को पूर्ण रूप से 1 जनवरी 1987 को जनता के लिए खोल दिया गया और उस दिन लगभग 10,000 से अधिक लोग दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे थे.
Lotus Temple की संरचना
चारों ओर हरे-भरे दृश्य वाले बगीचे से घिरा हुआ कमल के फूल के आकार वाली मंदिर 26 एकड़ भूमि में फैली हुई है. मंदिर में प्रयोग की गई संगमरमर ग्रीस से लाई गई सफेद संगमरमर का यूज़ किया गया है. आपको बता दें कि ऐसी संगमरमर का उपयोग कई प्राचीन स्मारकों और अन्य बहाई इमारतों का निर्माण करने के लिए प्रयोग किया जाता है. और यह मंदिर कुल 27 पंखुड़ियां से मिलकर बनी है और नौतपा गोलाकार आकार देने के लिए इन पंखुड़ियों को समूह में व्यवस्थित की गई है.
मंदिर के कुल 9 प्रवेश द्वार है जो एक विशाल केंद्रीय हाल में खुलती है जिसकी ऊंचाई लगभग 40 मीटर है मंदिर में कुल 1300 बैठने की क्षमता है और साथ में एक समय में 2500 लोग बैठ सकते हैं. मंदिर का डिज़ाइन ईरान की वास्तुकार फ़रीबोरज़ साहबा द्वारा किया गया है. फिलहाल में वह अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में रहते हैं. मंदिर की संपूर्ण संरचना और डिजाइन यूके की फार्म फ्लिंट और नील द्वारा किया गया था.
और मंदिर कि निर्माण कार्य लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के ईसीसी कंस्ट्रक्शन ग्रुप ने किया था. मंदिर के आसपास के 9 तालाब है और बगीचे है कुल मिलाकर पूरा मंदिर परिसर 26 एकड़ भू-भाग में फैली हुई है. साथ ही मंदिर के पास में ही एक शैक्षणिक केंद्र है जिसे 2017 में स्थापना किया गया था.
Lotus Temple में होने वाली मुख्य गतिविधियां
लोटस टेंपल मुख्य चार ऐसे गतिविधियां प्रदान करती है जो इससे अपनाने में रुचि रखते हैं यह गतिविधियां आपको लोटस टेंपल और बहाई शिक्षाओं के बारे में जानकारी प्रदान और जागरूक करती है.
बच्चों के लिए कक्षा संचालन :- इन कक्षाओं के द्वारा बहाई शिक्षाओं के माध्यम से ईश्वर पर निर्भरता, न्याय, उदारता, एकता, दया और से से मूल्यों को आत्मसात कराना है.
जूनियर युवा के लिए कक्षा संचालन :- इन कक्षाओं द्वारा 11 से लेकर 14 वर्ष की आयु के बच्चों में अत्याधुनिक और बौद्धिक क्षमता विकास करने करने में मदद करती है.
भक्ति पूर्ण बैठक :- इस बैठक का मुख्य उद्देश्य समुदाय के भीतर प्रेम पूर्ण वातावरण बनाना है.
अध्ययन मंडल :- इस बैठक का मुख्य उद्देश्य बहाई लेखन, प्रार्थना, जीवन और मृत्यु का पूर्ण रूप से अध्ययन करना और लोगों पर अध्यात्मिक चेतना की भावना पैदा करना है.
Lotus Temple की आसपास की आकर्षण स्थल
हुमायूं का मकबरा :- हुमायूं का मकबरा एक विश्व धरोहर स्थल है और यह मुगल वास्तुकला का एक उल्लेखनीय उदाहरण भी है. यहां पर मुगल सम्राट हुमायूं का मकबरा है और चारों और सुंदर बगीचे से घिरा हुआ है. हुमायूं का मकबरा की दूरी लोटस टेंपल से लगभग साढे 6 किलोमीटर की दूरी में है.
कुतुब मीनार :- कुतुबमीनार भी 120 धरोहर स्थल में से एक है और यह दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान में से एक है. यह मीनार लाल रंग के बालू पत्थर से और संगमरमर से बनी हुई एक विशाल मीनार है. इस मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है. यदि आप कुतुबमीनार जाना चाहते हैं तो लोटस टेंपल से मेट्रो या बस या कैब के माध्यम से जा सकते हैं इसके दूरी लोटस टेंपल से कॉल 9.8 किलोमीटर है.
अक्षरधाम मंदिर :- अक्षरधाम एक आधुनिक सनातन धर्म हिंदू की मंदिर है जो आश्चर्यजनक वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है यदि आप अक्षरधाम की यात्रा करना चाहते हैं तो लोटस टेंपल से अक्षरधाम की दूरी13.1 किलोमीटर है. अक्षरधाम पहुंचने के लिए लोटस टेंपल से आपको मेट्रो या बस की सहारा ले सकते हैं.
इंडिया गेट :- इंडिया गेट एक युद्ध स्मारक है जो दिल्ली के केंद्र में स्थित विशाल लान से घिरा हुआ है. यह भी एक आकर्षक पर्यटन स्थल में आता है . लोग इस जगह को पिकनिक और शाम के समय में घूमने के लिए एक बहुत ही लोकप्रिय स्थान के रूप में मानते हैं. लोटस टेंपल से इंडिया गेट की दूरी 8.6 किलोमीटर है. इंडिया गेट आप बॉस मेट्रो या कैब के मदद से आसानी से जा सकते हैं.
कालकाजी देवी मंदिर :- कालकाजी देवी मंदिर लोटस टेंपल से 600 मीटर की दूरी पर अवस्थित है यह मंदिर पूर्ण रूप से देवी काली को समर्पित एक मंदिर है और इस मंदिर को दिल्ली के सबसे व्यस्त हिंदू मंदिर में से एक माना जाता है.
इस्कॉन मंदिर :- लोटस टेंपल से महज 2.6 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित इस्कॉन मंदिर श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर जिसे आमतौर पर मंदिर के रूप में जाना जाता है. यह मंदिर भगवान श्री कृष्णा और राधा के लिए समर्पित है.
लोधी का मकबरा :- लोटस टेंपल से 10 किलोमीटर की दूरी में अवस्थित लोधी गार्डन एक ऐतिहासिक पार्क है. जो सुंदर परिदृश्य वाले उद्यान और 15 वी शताब्दी के सैयद और लोधी राजपूतों के ऐतिहासिक स्मारक के रूप में जाने जाता है. यहां पर लोधी का मकबरा स्थित है.
- Lotus Temple के बारे में वह तथ्यों जिसके बारे में लोग कम जानते हैं.
- Lotus Temple को भारत में ₹6.5 के टिकट पर छापा गया है.
- Lotus Temple में वर्तनी लगभग 4:30 मिलियन अनुयाई या पर्यटन दुनिया भर से देखने के लिए आते हैं.
- Lotus Temple भारत के राजधानी दिल्ली के पहला ऐसे मंदिर है जो पूर्ण रूप से सूर्य ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है.
- Lotus Temple के लिए भूमि खरीदने के लिए पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हैदराबाद के एक बहाई अनुयाई अर्दिशिर रुस्तमपुर ने अपनी पूरी बचत को दान कर दी थी.
- Lotus Temple की डिजाइनर फ़रीबोर्ज़ सहबा ने मंदिर की प्रतीक कमल इसलिए चुना था क्योंकि कमल फूल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम धर्म और जैन धर्म में एक सामान्य प्रतीक के रूप में माना जाता है.
Lotus Temple में आने वाले पर्यटन
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2001 के अंत तक का लोटस टेंपल की यात्रा करने वाले लोगों की संख्या 70 मिलियन से अधिक हो गई थी. इसी तरह भारत के स्थाई प्रतिनिधि मंडल ने कहा था कि 2014 तक लोटस टेंपल में एक सौ मिलियन से भी अधिक अनुयाई या पर्यटक यात्रा करने आ चुके हैं.
Lotus Temple एक ऐसी मंदिर है जो विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण की बिंदु बना है. लोटस टेंपल में छुट्टियों के दिन में 100000 से भी अधिक लोग आते हैं. और सालाना आने वाले अनुयाई या पर्यटन ओं की संख्या 2.5 मिलियन से लेकर 5 मिलियन तक की है. एक रिपोर्ट के मुताबिक लोटस टेंपल दुनिया में सबसे अधिक देखी जाने वाली इमारत है. लोटस टेंपल को दिल्ली के मुख्य पर्यटक आकर्षणों में से एक माना जाता है.
Lotus Temple की टाइम टेबल
Lotus Temple सर्दियों के समय में आम नागरिक के लिए सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुली रहती है. और गर्मियों के समय में 9:00 से शाम 7:00 बजे तक खुली रहती है. आपको बता दें लोटस टेंपल सोमवार को बंद रहती है.
Lotus Temple कैसे पहुंचे
लोटस टेंपल भारत के राजधानी दिल्ली में अवस्थित है और यह नेहरू पैलेस से कुछ ही दूर में अवस्थित है. लोटस टेंपल आप मेट्रो, बस या टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं.
Lotus Temple की मैप
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FAQs
Q. लोटस टेंपल कौन से दिन बंद रहता है ?
Ans – लोटस टेंपल सोमवार को बंद रहता है.
Q. लोटस टेंपल कहां है.
Ans – Lotus Temple भारत के राजधानी नई दिल्ली में है.
Q. Lotus Temple क्यों फेमस है ?
Ans – लोटस टेंपल अपने आकार कमल के फूल जैसे होने के कारण फेमस है.
Q. लोटस टेंपल कब बनाया गया था ?
Ans – 13 नवंबर 1986 में आम जनता के लिए खोल दिया गया था.
Q. लोटस टेंपल कितने पंखुड़ियां से बनी हुई है ?
Ans – Lotus Temple में कुल 27 पंखुड़िया है.
Q. मेट्रो से Lotus Temple कैसे पहुंचे ?
Ans – मेट्रो से आप कालकाजी स्टेशन पहुंचे और उसके बाद किसी ऑटो या टैक्सी लेकर 5 मिनट में Lotus Temple पहुंच सकते हैं.