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Muslim Women Rights Day : जानें मुस्लिम महिला अधिकार दिवस का इतिहास और महत्व 1 अगस्त

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Muslim Women Rights Day
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 Muslim Women Rights Day : मुस्लिम महिला अधिकार दिवस एक मुस्लिम महिला की विवाह पर अधिकारों का संरक्षण के रूप में मनाया जाता है. आपको पता होगा कि भारत सरकार ने  1 अगस्त 2019 के दिन पूरे भारत देश में मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के रुप में मनाया जाता है.

  क्योंकि सरकार ने उसी दिन मुस्लिम महिलाओं की हित के लिए भारत में तीन तलाक की प्रथा को खत्म कर दिया था. इस तीन तलाक की प्रथा को सरकार ने 1 अगस्त 2019 को लागू किया.  साथी तीन तलाक की प्रथा को हमेशा के लिए भारत सरकार ने खत्म कर दिया.  और मुस्लिम जोड़ों को शरिया कानून के बजाया भारतीय दंड संहिता के अनुसार तलाक देना अनिवार्य कर दिया गया.  भारत में पहला मुस्लिम महिला अधिकार दिवस 1 अगस्त 2020 को पूरे देश में मनाया गया था.

Table of Contents

मुस्लिम महिला अधिकार दिवस का इतिहास

दिवस का नाममुस्लिम महिला अधिकार दिवस (Muslim Women Rights Day)
कहां मनाया जाता हैभारत देश में
दिवस का प्रकारराष्ट्रीय
दिवस का महत्वभारत में तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने की उपलक्ष्य में
कब मनाया जाता हैहर साल 1 अगस्त को
आवृत्तिवार्षिक
दिवस का संदर्भमुस्लिम महिला में विवाह पर अधिकारों का संरक्षण अधिनियम 2019 

तीन तलाक क्या है? (Triple Talaak Kya Hai ?)

 तीन तलाक मुख्य रूप से हनफी इस्लामिक स्कूल ऑफ लॉ के बाद भारत के मुस्लिम समुदाय में प्रचलित किया गया एक प्रथा है. इस प्रथा में एक  मुस्लिम पुरुष अपने मर्जी से जब चाहे तब अपनी पत्नी को यदि तीन बार तलाक,  तलाक,  तलाक  कह कर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है.   लेकिन महिलाएं तीन तलाक नहीं कह सकती है. 

क्योंकि महिला के लिए मुस्लिम संगठन ने सरिया अधिनियम 1937 के तहत तलाक लेने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. यह प्रथा पाकिस्तान,  इंडोनेशिया  और बांग्लादेश जैसे  अन्य कई सारे इस्लामिक देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

मुस्लिम महिला अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?

हर साल 1 अगस्त को  मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाता है

तीन तलाक पर भारत में अधिनियम 2019 के प्रावधान क्या है ?

  1. इस तीन तलाक पर भारत सरकार ने 1 अगस्त 2019 को खत्म कर दिया है.  अब यदि इस अधिनियम लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप सहित तलाक की सभी घोषणाओं को अवैध बनाता है. 
  2.  अधिनियम के बाद यदि कोई  मुस्लिम पुरुष यदि अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो इस तलाक को एक संज्ञेय अपराध माना जाता है,  जिसके लिए जुर्माने के साथ-साथ 3 साल तक  जेल की हवा खानी पड़ सकती है.
  3. संज्ञेय अपराध का मतलब ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति को पुलिस अधिकारी बिना किसी आरोपी व्यक्ति को बिना किसी वारंट को गिरफ्तार कर सकता है.
  4. ऐसे में यदि जमानत की बात आई तो मजिस्ट्रेट आरोपी को  जमानत दे सकता है बशर्ते जमानत के लिए जिस महिला को तीन तलाक दिया गया हो वही महिला यदि बोलेगी तभी जाकर जमानत हो सकती है.
  5. यदि मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है और बाद में गलती समझ कर वापस लेता है तो ऐसे में उस महिला की अनुरोध पर मजिस्ट्रेट द्वारा अपराध को कम किया जा सकता है असत्य दोनों पक्ष में समझौता होना चाहिए.
  6. यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी  के खिलाफ तलाक घोषित करता है तो वह अपने पति से अपने और अपने बच्चों की परवरिश के लिए निर्वाह भत्ता मांगने में हकदार रहेगी.

तीन तलाक  में संविधानिक में क्या प्रावधान है

संवैधानिक  में तीन तलाक को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन माना गया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो  मामले में 1986 से लेकर  2017 में सायरा बानो  मामले तक माना है. संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार धार्मिक स्वतंत्रता को अभ्यास और धर्म के प्रचार-प्रसार की स्वतंत्रता की गारंटी देती है.  सभी मौलिक अधिकारों की तरह या प्रतिबंधों के अधीन है और धार्मिक प्रथाओं की रक्षा नहीं करता है जो नागरिकों के कल्याण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. इसीलिए भी अनुच्छेद 25 को अनुच्छेद 14 द्वारा ओवरराइट भी किया गया है.

जो समानता के अधिकार की गारंटी देता  है. क्योंकि  तीन  तलाक एक मुस्लिम महिला को कानून के समक्ष समानता से वंचित कर आता है. उसी में अनुच्छेद 25 अनुच्छेद 15 के अधीन है जिसमें कहा गया है कि राज्य केवल धर्म नस्ल जाति लिंग के आधार पर किसी भी नागरिक के खिलाफ भेदभाव की भावना नहीं रहेगी क्योंकि तीन तलाक महिलाओं के पक्ष में काम नहीं करता है इसलिए यह उल्लंघन करता है संविधान का अनुच्छेद 15 के अनुसार.

तीन तलाक खत्म होने के बाद महिलाओं में आगे बढ़ने का रास्ता खुलेगी 

इस अधिनियम के कारण से भारत में तीन तलाक के मामलों में लगभग 83% से ज्यादा की गारंटी देखी गई है.  इससे देश की मुस्लिम महिलाओं की आत्मनिर्भरता,  स्वाभिमान और आत्मविश्वास को मजबूती मिलती है.  साथ ही यह कानून लैंगिक समानता सुनिश्चित करने और मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक और मौलिक लोकतांत्रिक अधिकारों को मजबूत करने की दिशा  की ओर ले जाती है.

तीन तलाक विधेयक पास होने के बाद कानून की सफलता

 तीन तलाक बिल पास होने के बाद तीन तलाक के मामले में 82 प्रतिशत से ज्यादा कमी देखने को मिली है.

किन-किन देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

1929 में मित्र में तीन तलाक पर प्रतिबंध  लगाकर पहला देश बना.  इसी तरह उसके बाद सूडान,  पाकिस्तान,  मलेशिया,  बांग्लादेश,  इराक,  ओडिशा,  सीरिया  जैसे मुस्लिम देश ने भी तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया है.  हाल ही कुछ वर्ष में संयुक्त अरब अमीरात,  इरान,  मोरक्को,  शाहपुर,  कतर,  जॉर्डन, ब्रूनेई, अल्जीरिया और साथ ही भारत ने इस प्रथा में प्रतिबंध लगाया है. 

तीन तलाक पर महत्वपूर्ण तथ्य

  • तीन तलाक बिल मुस्लिम महिलाओं को तलाक की शर्तों की सामाजिक बुराई की वीडियो से मुक्त कराने के लिए एक बहुत ही बड़ा मील का पत्थर था.
  • इस बिल को पास करने के लिए शाह बानो बेगम और अन्य बनाम अहमद खान सायरा बानो बनाम भारत संघ और अन्य ने इस कदम की आधारशिला रखी थी.
  • पहली बार सायरा बानो ने अपनी याचिका में सर्वोत्तम अदालत से 3 तलाक वाली प्रथा को बहु विवाह,  निकाह  हलाल को असंवैधानिक घोषणा करने की माग की थी.
  • मुस्लिम महिला अधिकार दिवस 1 अगस्त को तीन तलाक बिल की पृष्ठभूमि में बनाया जाता है जिसे 1 अगस्त 2019 को संसद में मंजूरी दी गई थी.

तीन तलाक कानून के बारे में रोचक तथ्य

  • तीन तलाक को   ‘तलाक-ए-बिद्दत’ कहा जाता है.
  •  लगभग 100% मामलों में मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए सिर्फ पति ही रजामंदी होती है.
  • तीन तलाक बिल दिसंबर 2017 में  लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में रखने के कारण लंबित हो गई.
  •  2018 में सरकार ने तीन तलाक को प्रतिबंध करने के लिए अध्यादेश जारी किया.
  • इस अध्यादेश में सरकार ने तीन तलाक को अपराध घोषित करते  हुए यदि कोई पति पत्नी को तीन तलाक देता है तो उसे 3 साल तक की सजा और जुर्माना देना  पड़ेगा.
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लेख खन बताया जो सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है.
  • अब यदि विधायक की धारा 3 के अनुसार लिखित या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक विधि  से कोई मुस्लिम पुरुष यदि अपने पति को तीन तलाक चाहता है तो वह अवैध तथा गैर कानूनी मानी जाएगा.

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 निष्कर्ष

 इस लेख में हमने जाना मुस्लिम महिला दिवस के बारे में आशा करता हूं आप लोगों को यह लेख जरूर पसंद आई हो यदि किसी तरह का कोई सलाह या सुझाव है तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करें धन्यवाद. 

FAQs.

Q. किन-किन देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा हुआ है ?

A. 929 में मित्र में तीन तलाक पर प्रतिबंध  लगाकर पहला देश बना.  इसी तरह उसके बाद सूडान,  पाकिस्तान,  मलेशिया,  बांग्लादेश,  इराक,  ओडिशा,  सीरिया  जैसे मुस्लिम देश ने भी तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया है.  हाल ही कुछ वर्ष में संयुक्त अरब अमीरात,  इरान,  मोरक्को,  शाहपुर,  कतर,  जॉर्डन, ब्रूनेई, अल्जीरिया और साथ ही भारत ने इस प्रथा में प्रतिबंध लगाया है. 

Q. तीन तलाक क्या है?

A. तीन तलाक मुख्य रूप से हनफी इस्लामिक स्कूल ऑफ लॉ के बाद भारत के मुस्लिम समुदाय में प्रचलित किया गया एक प्रथा है. इस प्रथा में एक  मुस्लिम पुरुष अपने मर्जी से जब चाहे तब अपनी पत्नी को यदि तीन बार तलाक,  तलाक,  तलाक  कह कर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है.   लेकिन महिलाएं तीन तलाक नहीं कह सकती है. 

Q. मुस्लिम महिला अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?

A. हर साल 1 अगस्त को  मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाता है

Q. भारत में ट्रिपल तलाक कब खत्म हुआ ?

A. इस तीन तलाक की प्रथा को सरकार ने 1 अगस्त 2019 को लागू किया

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