Pingali Venkayya Jayanti : 2 अगस्त से भारतीय ध्वज का खास संबंध, जानिए कैसे तैयार हुआ तिरंगे की डिजाइन, पिंगली वेंकैया जीवनी, pingali venkayya in hindi, पिंगली वेंकैया जी की पुण्यतिथि, पिंगली वेंकैया का फोटो, राष्ट्रीय ध्वज के निर्माता कौन है, पिंगली वेंकैया की जीवनी, Pingali Venkayya Jayanti in hindi, Tiranga ka Nirman kisne kiya , tiranga ko kisne banaya,
आज 2 अगस्त है और आज के दिन पिंगली वेंकैय्या जयंती भी मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya ) कौन है. क्यों आज के दिन दिल्ली में या जयंती मनाया जाता है.यह जानते हैं विस्तार में, हमारे देश आजादी की अमृत महोत्सव मना रही है. और हमारे देश आजाद हुए पूरे 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में. सरकार ने पूरे देश में हर घर तिरंगा योजना की शुरुआत की गई है. इसके तहत भारत के हर जनता अपने घर पर 13 अगस्त से 15 अगस्त तक तिरंगा लगाने की अपील भी की गई थी.
क्या आप जानते हैं आज के दिन यानी कि 2 अगस्त हमारे देश के राष्ट्रीय धनराज से बहुत ही गहरा संबंध है. इस दिन को लेकर हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मन की बात संबोधित करते हुए आज की दिन का जिक्र किया था. दरअसल आज 2 अगस्त को तिरंगे के झंडे के डिजाइनर पिंगली वेंकैय्या की जन्म जयंती के रूप में मनाया जाता है.
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पिंगली वेंकैया कौन थे ? (Who is Pingali Venkayya )
दरअसल पिंगली वेंकैय्या (Pingali Venkayya ) हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के डिजाइनर थे. वह एक भारतीय स्वतंत्र सेनानी और गांधीवादी थे. वह एक विख्यात लेखक भूमि ज्ञानी शिक्षा वादी कृषक और बहुभाषिक व्यक्ति थे. उन्होंने ही हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन किया और आज हम उसी तिरंगा को हमेशा हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज मानते हैं. बात 1921 की है जब कांग्रेश की सभी बैठकों में पिंगली वेंकैया ने झंडे को औपचारिक रूप से इस्तेमाल किया था.
लेकिन अपने सत्र तक कांग्रेस ने तिरंगे को रंग को नहीं अपनाया था जिससे हम अभी अपने तिरंगा ध्वज में देखते हैं. आपको बता दें कि तिरंगा में केसरिया, सफेद और हारा रंग साथी बीच में चरखा का चकरी रखा जाता है. अंत में 1931 के बाद तिरंगा के झंडे को औपचारिक मान्यता दी गई. और साथ ही इस झंडे को महात्मा गांधी के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन का नाम दिया गया.
नाम | पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya ) |
जन्म | 2 अगस्त 1876 |
पिताजी का नाम | हनुमंत रायडू |
माता जी का नाम | वेंकटरत्नम |
गृह नगर | अब आंध्र प्रदेश इससे पहले मछलीपट्टनम के पास भाटलापेनुमरु में हुआ था |
किस लिए जाने जाते हैं | भारत के राष्ट्रीय ध्वज ( तिरंगा) का डिजाइन के लिए |
पत्नी का नाम | रुक्मिनम्मा |
मृत्यु | 4 जुलाई 1963 |
पिंगली वेंकैया जयंती | हर साल 2 अगस्त |
पिंगली वेंकैया की जीवनी
सिंगली बनती है का जन्म 2 अगस्त 876 मैं उस वक्त उस राज्य का नाम आंध्रप्रदेश होने से पहले मछलीपट्टनम के निकट भाटलापेनुमारु मद्रास प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत के पास स्थित स्थान पर हुआ था. अब उस जगह का नाम बदलकर आंध्रप्रदेश रखा गया. उनकी पिता का नाम हनुमंतरायडू और माता जी का नाम वेंकटरत्नम्मा था पिंगली वेंकैय्या एक तेलुगू ब्राह्मण कुल थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास के ही 1 हाई स्कूल से उत्तीर्ण किया था.
और वह बाद में अपनी स्नातक को पूरा करने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए थे. फिर अपनी पढ़ाई पूरा कर कर वहां से लौटने के बाद उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में भी काम किया फिर बाद में लखनऊ में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया. उसके बाद वह एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने के लिए लाहौर चले गए. उन्होंने परमाणु गांव के करणम की बेटी रुक मीनम्मा से शादी की थी. उन्होंने 19 साल की उम्र में ही ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे. दूसरी ओर 18 से 99 से लेकर 1902 के दौरान में एक युद्ध में दक्षिण अफ्रीका में तैनात किया गया था.
युद्ध के दौरान जब सैनिकों को ब्रिटिश ने राष्ट्रीय ध्वज यूनियन जैक को सलामी देनी थी तब पिंगली भैया को भारतीयों के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता का महसूस हुआ था. उसके बाद 1906 में वेंकैया कोलकाता में एक एआईसीसी सत्र में शामिल हुए तो वहां उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए एक झंडा डिजाइन करने की प्रणाली क्योंकि उस वक्त उन्होंने कांग्रेस की बैठक को में ब्रिटिश झंडा फहराने के विचार का विरोध किया था.
जब हमारी देश 1947 में स्वतंत्र रूप से आजाद हुआ था तब पहले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सदस्यों द्वारा विभिन्न झंडों का इस्तेमाल किया गया था. उसके बाद बिंदिया ने राष्ट्रीय ध्वज को का डिजाइन किया और 1 अप्रैल 1921 को विजयवाड़ा की विजयवाड़ा यात्रा के दौरान इस ध्वज को महात्मा गांधी को प्रस्तुत किया. उस वक्त झंडे का ढांचा लाल और हरे रंग का था. जिसमें लाल रंग हिंदुओं का प्रतिद्वंदिता करता था तो वहीं हरा देश में रहने वाले मुसलमानों का प्रतिद्वंदी करता था.
लेकिन महात्मा गांधी जी के सुझाव पर पंक्तियां ने भारत में मौजूद अन्य सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सफेद पट्टा जोड़ दी. उसके बाद 1921 से वेंकैया के झंडे का अनौपचारिक रूप से सभी कांग्रेसियों के बैठक में उपयोग में किए जाने लगे. उसके बाद 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक के दौरान झंडे को वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया.
वेंकैया एक कृषक होने के साथ-साथ शिक्षा वादी भी थे इन्होंने मछलीपट्टनम में एक क्षेत्रीय संस्थान की स्थापना की थी. अंत में उनका मृत्यु 1963 में हुई. 2009 में उनकी स्थिति में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था. साथ ही 2012 में उनका नाम मृत्यु के बाद भारत रत्न के लिए प्रस्तावित किया गया था लेकिन प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
पिंगली वेंकैय्या की करियर ( Pingali Venkayya Career )
पिंगली वेंकैय्या (Pingali Venkayya ) ने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज से भूविज्ञान से डिप्लोमा किया. उसके बाद उन्होंने 1911 से लेकर 1944 तक मछलीपट्टनम में आंध्र नेशनल कॉलेज में व्याख्याता के रूप में भी काम किया. 1924 से 1944 तक उन्होंने नेल्लोर में अभ्रक पर शोध किया. जहां पर उन्होंने भूविज्ञान पर ‘थल्ली रायी’ नामक एक पुस्तक भी लिखी थी.
पिंगली वेंकैया को डायमंड बंकिया भी कहा जाता था क्योंकि वह हीरा खनन के विशेषज्ञ भी थे. साथ ही उन्हें पट्टी बन गया भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपना अधिकांश समय कपास की मुख्य किस्मों पर रिसर्च करने के लिए लगा दी थी और अंत में कंबोडिया कार्टन नामक एक की सुपर विस्तृत रूप से अध्ययन भी किया था. वेंकैया ने 1913 में एक स्कूल में जापानी भाषा भी सीखा था. जिससे उन्हें जापान बनके या के नाम से भी लोग जाने लगे थे.
राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन कैसे हुआ ? (how the national flag was designed)
1996 जब बंकिया (Pingali Venkayya ) ने दादा भाई नौरोजी के नेतृत्व में कोलकाता में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र में भाग लिया था. उस वक्त भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए एक झंडा डिजाइन करने की प्रेरणा मिली. क्योंकि उन्होंने कांग्रेस की बैठक को में ब्रिटिश ध्वज फहराने के विचार का विरोध किया था. उसके बाद उन्होंने संभावित डिजाइन ऊपर काम किया जिसका उपयोग स्वतंत्र को दर्शाने के लिए राजस्व आंदोलन के लिए झंडे के रूप में प्रयोग में लाया जा सके.
भारतीय संस्कृति विरासत और इतिहास के साथ-साथ अलग-अलग महत्व और संबंधों वाले 25 से अधिक झंडे बनाए गए थे लेकिन 1916 में उन्होंने भारत देसानिकी ओका जाति पटाकम जिसका मतलब भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज नामक पुस्तक का भी प्रकाशित किया था. उन्होंने एक झंडे के लिए लगभग 30 जनों का डिजाइन किया था.
फिर 1921 में एआईसीसी ने 31 मार्च और 1 अप्रैल को बेजवाड़ा में अपना दो दिवसीय महत्वपूर्ण सत्र आयोजन किया. कुछ महत्वपूर्ण सत्र में जब महात्मा गांधी ने पिंटिया को एक झंडा की डिजाइन प्रस्तुत करने को कहा. तो उन्होंने उस वक्त उस झंडे को प्रस्तुत किया. वहां पर बिंदिया ने महात्मा गांधी जी को खादी पर बने झंडे का एक प्रारंभिक डिजाइन दिखाया था. यह झंडा लाल और हरा रंग का था लाल रंग देश में रहने वाले हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करता था और हरा रंग देश में रहने वाले मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता था.
लेकिन गांधीजी के सुझाव पर वेंकैया ने देश में मौजूद अन्य सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सफेद पट्टी जोड़ दिया. लेकिन उस झंडे को एआईसीसी द्वारा आधिकारिक रूप से नहीं अपनाया गया था. उसके बाद 1931 में उस पत्तियों को फिर से व्यवस्थित किया गया और लाल को केसरिया रंग में बदल दिया गया और इसका उपयोग पूरे देश में किए जाने लगा. 1921 से बतिया के झंडे का अनौपचारिक रूप से सभी कांग्रेश बैठकों में उपयोग किया जा रहा है भारत की आजादी से 20 दिन पहले 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक के दौरान इस झंडे को जो अभी वर्तमान स्वरूप में है उसे अपनाया गया था.
पिंगली वेंकैया की मृत्यु (Pingali Venkayya Death )
पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya )ने गांधीवादी विचारधारा के अनुसार विनम्रता पूर्वक जिंदगी व्यतीत किया था. 1963 में सापेक्ष गरीबी में उनकी मृत्यु हो गई. बंकिया की बेटी घंटासला सीता महालक्ष्मी का निधन 21 जुलाई 2022 को 100 साल पूरा होने पर हुआ था. बंकिया की स्थिति में एक डाक टिकट और पहला झंडा 2009 में जारी किया गया था. ऑल इंडिया रेडियो के विजयवाड़ा स्टेशन का नाम 2014 में उनके नाम पर रखा गया. 2012 में उनका नाम मृत्यु पश्चात भारत रत्न के लिए प्रस्तावित किया गया था लेकिन प्रस्ताव पर अभी केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रक्रिया नहीं आई है.
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निष्कर्ष
इस लेख में हमने जाना हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के डिजाइनर पिंगली वेंकैया के जयंती के बारे में. और उनके जीवनी के बारे मे, आशा करता हूं आप लोगों को यह लेकर जरूर पसंद आई हो. कोई सुझाव या साला है तू नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करें धन्यवाद.
FAQs.
Q. पिंगली वेंकैया कौन थे ?
A. दरअसल पिंगली वेंकैय्या (Pingali Venkayya ) हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के डिजाइनर थे.
Q. पिंगली वेंकैया की मृत्यु कब हुई ?
A. पिंगली वेंकैया ने गांधीवादी विचारधारा के अनुसार विनम्रता पूर्वक जिंदगी व्यतीत किया था. 1963 में सापेक्ष गरीबी में उनकी मृत्यु हो गई
Q. राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन कैसे हुआ ?
A. फिर 1921 में एआईसीसी ने 31 मार्च और 1 अप्रैल को बेजवाड़ा में अपना दो दिवसीय महत्वपूर्ण सत्र आयोजन किया. कुछ महत्वपूर्ण सत्र में जब महात्मा गांधी ने पिंटिया को एक झंडा की डिजाइन प्रस्तुत करने को कहा. तो उन्होंने उस वक्त उस झंडे को प्रस्तुत किया. वहां पर बिंदिया ने महात्मा गांधी जी को खादी पर बने झंडे का एक प्रारंभिक डिजाइन दिखाया था. यह झंडा लाल और हरा रंग का था लाल रंग देश में रहने वाले हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करता था और हरा रंग देश में रहने वाले मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता था.
Q. पिंगली वेंकैय्या की जन्म कब हुई थी ?
A. 2 अगस्त 1876 में हुई थी