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World Breastfeeding Week 2024 Special | विश्व स्तनपान सप्ताह पर निबंध,जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व स्तनपान सप्ताह दुनिया भर में

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World Breastfeeding Week
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 World Breastfeeding Week special : इस लेख में हम जानेंगे विश्व स्तनपान सप्ताह हवा के बारे में, विश्व स्तनपान सप्ताह एक वार्षिक रूप से मनाए जाने वाले उत्सव है जो हर साल 1 तारीख से लेकर 7 तारीख तक अगस्त महीने में दुनिया भर में 120 से भी ज्यादा देशों में मनाया जाता है. विश्व स्तनपान सप्ताह बनाने का उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ द्वारा आयोजित डब्ल्यू डी डब्ल्यू ने जीवन के पहले 6 महीनों के लिए विशेष रूप से अपनी मां का स्तनपान को बढ़ावा देने का मुख्य लक्ष्य रखा गया है. 

जिससे जन्म से 6 महीने के अंदर के बच्चों को मां का स्तनपान कराने से बच्चा स्वास्थ्य लाभ देता है साथी महत्वपूर्ण पोषक तत्व और सुरक्षा भी प्रदान करता  हैं.  आइए जानते हैं विस्तार में विश्व स्तनपान सप्ताह के बारे में.

Table of Contents

विश्व स्तनपान सप्ताह कब मनाई जाती है ? (When is World Breastfeeding Week celebrated?)

विश्व स्तनपान सप्ताह हर वर्ष अगस्त महीने की पहला सप्ताह एक अगस्त से 7 अगस्त तक मनाई जाती है. 

 विश्व स्तनपान सप्ताह का इतिहास (History of World Breastfeeding Week )

 विश्व स्तनपान सप्ताह पहली बार 1993 में डब्ल्यू ए बी एड बारा मनाया गया था और अब इसे यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ जैसे संगठनों और सरकारों सहित उनके सहयोगी द्वारा पूरे दुनिया भर में 120 से अधिक देशों में मनाया जाता है.  विश्व स्तनपान सप्ताह का गठन 14 फरवरी 1991 में किया गया था.  जिसका  उद्देश्य दुनिया भर में स्तनपान संस्कृति को फिर से स्थापना करना और हर जगह स्तनपान के लिए सहायता प्रदान करना है. 

डब्लू डब्लू वेबसाइट के  रिपोर्ट 26 अगस्त के एक विवरण के अनुसार विश्व स्तनपान सप्ताह 2010 में कुल 488 संगठनों और 406,620 लोगों ने भाग लिया था साथ ही पूरे दुनिया भर में 79 से अधिक देशों द्वारा कुल 540 से भी ज्यादा कार्यक्रम को आयोजित किया गया था. डब्ल्यूएचओ और अमेरिकन अकैडमी आफ पीडियाट्रिक्स जैसे संगठन माताओं के साथ-साथ बच्चों के लिए स्तनपान के महत्व पर ज्यादा से ज्यादा जोर देना है.

इस संगठन का काम बच्चा के जन्म से लेकर 6 महीने तक के लिए विशेष स्तनपान की सलाह देना है और फिर कम से कम 1 वर्ष और 2 साल या उससे अधिक समय तक पूरक स्तनपान की सलाह देना है . WDW संगठन  ने स्तनपान की सुरक्षा और समर्थन के लिए अगस्त 1990 में डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ द्वारा घोषणा की गई थी .

स्तनपान (Feeding The Beast)

स्तनपान एक जन्मजात शिशु के लिए अमृत सम्मान होता है. और स्वाभाविक है कि एक शिशु का जन्म के बाद उससे अपनी मां का स्तनपान भरपूर मिले. जहां तक भारत की बात करें तो भारत में अपने शिष्यों का स्तनपान  का सेवन पूरे देश में सभी माताएं निश्चित रूप से कराती है.

लेकिन जब कोई महिला पहली बार मां बनती है तो शुरुआत में उन्हें  अपने शिशु को स्तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्यकता पड़ती है. यदि स्तनपान सेवन संबंधी सही जानकारी और ज्ञान की कमी और जानकारी ना होने के कारण. बच्चों में छोटी उम्र से ही कुपोषण या विभिन्न तरह के रोग की चपेट में आ जाते हैं .

बच्चों को स्तनपान क्यों जरूरी है ?(Why is breastfeeding important to babies?)

एक जन्मजात बच्चों के लिए स्तनपान बहुत ही जरूरी होता है जिससे बच्चों को होने वाली  कुपोषण तथा विभिन्न रोगों संक्रमण  बचने में सहायता मिलता है. साथ ही बच्चों में रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करती है.  क्योंकि जन्मजात शिशु में रोग प्रतिरोध आत्मक क्षमता नहीं होती है.  यह सब बच्चों को मां के दूध से ही प्राप्त होता है. 

मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो बच्चों की आंत में लोह तत्व को बांध देता है और लौह तत्वों के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाता है. मां के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चों की आंतों में जाती है और  बच्चों में होने वाली विभिन्न रोगों से लड़ती है और बच्चों को  होने वाली विभिन्न रोगों से बचाती है. माताओं में यह जीवाणु वातावरण से पहुंचता है और इससे बच्चे स्तनपान के माध्यम से सेवन करते हैं और उन रोगाणु विशेष के खिलाफ प्रतिरोध आत्मक तत्व बनाता है .

यह तत्व एक विशेष नलिका थोरेसिक डक्ट से सीधे मां के स्थान तक पहुंचती है और वह दूध  बच्चों के पेट  तक जाती है. इस तरह बच्चा मां का जलपान सेवन कर कर हमेशा स्वस्थ रहता है. यदि किसी बच्चा को मां का स्तनपान शुरू से नहीं मिल पाता है तो वह बच्चा बचपन से ही शुरू होने वाली विभिन्न प्रकार के रोग से ग्रसित हो जाता है.

साथ ही इन बच्चों पर दिमाग का विकास स्तनपान करने वाले बच्चों के तुलना में बहुत ही कम होता है.साथी बचपन से ही विभिन्न ना रोगों जैसे मधुमेह कुपोषण इत्यादि घातक रोगों से ग्रसित हो जाता है. इसलिए बच्चों को मां का स्तनपान कराना बहुत ही जरूरी होता है.

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मां का स्तनपान सर्वोत्तम आहार (breast feeding best diet)

  1. मां का स्तनपान जन्मजात बच्चों के लिए सबसे बड़ी आहार है.  जिससे बच्चों को होने वाली  कुपोषण तथा विभिन्न रोगों से बचाने में मदद मिलता है.
  2. जब कोई शिशु दुनिया में जन्म लेता है तो उस शिशु को जन्म से  6 महीने तक मां का स्तनपान कराना बहुत ही जरूरी है इसके अलावा शिशु को कोई भी पानी या हॉस्टल आहार नहीं देना चाहिए.
  3. मां के स्तनपान में प्रचुर मात्रा में पानी होती है इसके कारण जन्म से 6 महीना तक किसी शिशु को पानी पिलाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है.
  4. यदि जन्म से 6 महीने के शिशु को मां के स्तनपान के अलावा पानी पिलाते हैं तो  शिशु मां का स्तनपान करना कम कर देता है. जिसके कारण शिशु में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. 
  5. जन्मजात शिशु को प्रसव के आधे घंटे के अंदर ही बच्चों की मुंह में मां का स्तनपान दे देना चाहिए.
  6. यदि किसी मां का प्रसव ऑपरेशन करके होती है तो 4 या 5 घंटे के अंदर जैसे ही मां का स्थिति में सुधार आता है तो जन्मजात शिशु को स्तनपान करा देना चाहिए.

मां का स्तनपान किस विशेषता ( What is the specialty of mother’s breastfeeding )

मां का स्तनपान की विशेषताओं के बारे में खासकर महिलाओं को जागरूक करने के लिए ही विश्व स्तनपान सप्ताह का स्थापना की गई है.(World Breastfeeding Week ) इस सप्ताह के दौरान स्तनपान की विशेषताओं के बारे में बताई जाती हैं.  कहा जाता है कि मां की स्तनपान में बच्चों के लिए जरूरी पोषक तत्व,  एंटीबॉडीज,  हारमोंस,  प्रतिरोधक कारक  जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में होती है जो एक नवजात शिशु के विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी होता है.

मां के लिए प्रथम स्तनपान बच्चों के लिए अमृत समान ( कोलोस्ट्रम ) (First breastfeeding for mother is like nectar for babies(colostrum))

जब कोई नवजात शिशु का जन्म होता है उस वक्त मां का प्रथम स्तनपान ( कोलोस्ट्रम ) यानी कि वह गाढ़ा पीला दूध जो शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों तकप्राप्त होता है. उस दूध में विटामिन एंटीबॉडी अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होता है.  जो एक नवजात शिशु  के लिए अमृत समान होता है. वह दूध नवजात शिशु को जरूर स्तनपान कराना चाहिए. यह दूध पिलाने से  शिशुओं को विभिन्न संक्रमण से बचाता है. साथ ही रतौंधी जैसे रोगों से भी बचाता है(World Breastfeeding Week ). 

6 से 12 महीने के बच्चे के लिए पोस्टिक आहार (nutritious food for 6 to 12 month old baby )

6 महीने के बाद बच्चों को स्तनपान के साथ-साथ  अर्ध ठोस आहार, मिर्च मसाले रहित दलिया,  खिचड़ी,  चावल,  दही या दूध मैं  रोटी को अच्छी तरह भिगो कर मसल कर खिलाना चाहिए.

  • भोजन का मात्रा धीरे-धीरे उस करके बढ़ाना चाहिए.
  • बच्चों को भोजन में अच्छा से पकाया हुआ और  हाथों से मसला हुआ नरम आलू सब्जियां केला इत्यादि फलों को खिलाएं.
  • बच्चों की शक्ति बढ़ाने हेतु भोजन में थोड़ा सा भैया तेल जरूर मिलाकर खिलाए.
  •  बच्चों को एक बार में एक ही प्रकार के भोजन खिलाए.
  • बच्चों में कुपोषण का असर (World Breastfeeding Week )

दुनिया भर में भारत एक ऐसी देश है जहां पर नवजात बच्चों के जन्म दर और मृत्यु दर में काफी ज्यादा अनुपात है. राष्ट्रीय  स्वास्थ्य परिवार कल्याण सर्वेक्षण के अनुसार देश के करीब 46 बच्चे कुपोषण से ग्रसित है. भारत में सबसे ज्यादा कुपोषण से ग्रसित बच्चे मध्य प्रदेश में है.

World Breastfeeding Week : इसी तरह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 40% बच्चे के अवसर ऐसे हैं जो कम वजन वाले बच्चे पैदा होते हैं. भारत में प्रत्येक साल 0  से 5 साल तक की आयु वर्ग के बच्चों कुपोषण के कारण मृत्यु होने का आंकड़ा 60% है. भारत में कुपोषण की समस्या सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में  पिछड़ा वर्ग के जातियों के लोगों पर तथा अशिक्षित वर्गों के लोगों पर अधिक पाया जाता है. भारत में सबसे ज्यादा कुपोषण की समस्या गर्भवती महिलाओं में कम वजन वाले बच्चों की जन्म पर होती है.

कुपोषण के कारण (reasons of malnutrition )

World Breastfeeding Week : बच्चों में कुपोषण  का सबसे बड़ी कारण सही समय और प्रचुर मात्रा में मां का स्तनपान नहीं करा ना  है. यदि एक मां अपने बच्चों को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत करती है तो 5 साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर के अनुपात में कम कराने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ऐसे करने से नवजात बच्चों की मृत्यु दर को अधिक मात्रा में घटाया जा सकता है.  भारत में करीब 10 लाख नवजात शिशु की जान कुपोषण से चली जाती है.

World Breastfeeding Week : हमारे देश में केवल 23% माताएं ही नवजात शिशु के जन्म के 1 घंटे के भीतर अपना स्तनपान करा पाती है.  जो काफी चिंताजनक की विषय है. यदि जो माताएं अपनी नवजात शिशु को जन्म के 1 घंटे अंदर ही स्तनपान कराना शुरू कर देती है तो  लगातार 6 महीने तक सफलतापूर्वक और पूर्ण रूप से स्तनपान कराने के अधिक अवसर बढ़ जाता है. यदि 6 महीने तक लगातार अपने बच्चों को माता स्तनपान कराती है तो बच्चा स्वस्थ रहता है और पूर्ण रूप से उसके विकास को भी सुनिश्चित करता है.

सुधार ( Improvement )

पोषण भी सुधार लाने के लिए सामाजिक स्तर पर पोषण संबंधी व्यवहारों में परिवर्तन ला कर भी हम लोग सुधार ला सकते हैं जिसमें से कुछ व्यवहार नीचे दी गई है.

  • बच्चों को गरम रखना साथ ही बाहरी संक्रमण से बचाए  रखना.
  • बच्चों के उम्र के अनुसार निर्धारित टीकाकरण अवश्य लगाना चाहिए.
  • स्तनपान कराने वाली मां को पौष्टिक आहार भरपूर मात्रा में लेना चाहिए.
  • भोजन में ऐसे भोजन करना चाहिए जिस में आयरन की मात्रा ज्यादा हो.  साथ ही मां और बच्चों को दोनों को ही हमेशा आयोडीन युक्त नमक का ही  सेवन कराना चाहिए.
  •  गर्भवती अवस्था में माताओं को दिन में 2 से 3 घंटे आराम  और अतिरिक्त भोजन जरूर कराना चाहिए.

 इस तरह बच्चों में होने वाली कुपोषण से बचा जा सकता है.

मां के दूध और कृतिम दूध में अंतर (Difference between breast milk and artificial milk )

World Breastfeeding Week : कृति दूध मां की दूध की गुणवत्ता अनुकरण कर ने की कोशिश कर सकता है. लेकिन यह मुमकिन नहीं हो सकता है क्योंकि मां के दूध में जो अनेक गुण धरना है जिसका अनुकरण करना बहुत ही मुश्किल है. कृतिम दूध में मां के दूध जैसी  तत्व जैसे कि कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और विटामिन इत्यादि को डालकर बनाया जाता है. सीमित मात्रा में पाया जाता है.  लेकिन मां के दूध में ऐसा नहीं होता है क्योंकि मां के दूध में इन तत्वों की मात्रा बदलते रहती है. 

कभी मां का दूध पतला हो जाता है तो कभी काफी ज्यादा गाढ़ा हो जाता है,  कभी दूध कम होता है तो कभी ज्यादा होता है. नवजात शिशु का जन्म के  तुरंत बाद मां का दूध काफी गाढ़ा और पीला रहता है लेकिन वही दूध कुछ हफ्ते के बाद या महीने में बदलता रहता है.  जिससे दूध में पाए जाने वाले तत्व की मात्रा भी बदलते रहती है. 

यह एक प्रकृति का  दिया हुआ एक  देन है.  जो बच्चों के उम्र के अनुसार मां के दूध में भी बदलाव आते रहता है. मां के दूध में भौतिक गुणवत्ता के साथ-साथ अनेक जैविक तत्व भी रहता है जो एक कृतिम दूध में नहीं होता है.  उदाहरण के लिए मां से बच्चों की रोग से बचने के लिए प्रतिरक्षा मिलता है साथ ही  मां और बच्चों में लगाव हो जाता है .

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निष्कर्ष

इस लेख में हमने जाना World Breastfeeding Week Special | विश्व  स्तनपान सप्ताह पर निबंध,जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व स्तनपान सप्ताह दुनिया भर में  के बारे में आशा करता हूं आप लोगों को यह आर्टिकल जरूर पसंद आई हो यदि आर्टिकल पसंद आई हो तो हमें सलाह सुझाव देने के लिए नीचे कमेंट बॉक्स में आप कमेंट कर सकते हैं  आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद.

FAQs

Q.विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week) कब मनाया जाता है ?

A. विश्व स्तनपान सप्ताह हर साल अगस्त महीना के पहला सप्ताह 1 तारीख से लेकर 7 तारीख तक मनाया जाता है.

Q. शिशु को स्तनपान कब तक कराना चाहिए?

A. जन्म के बाद 6 महीने तक उसे स्तनपान कराना चाहिए

 Q. शिशु को पहले कुछ हफ्तों में कितनी बार स्तनपान कराना चाहिए?

उसे दिन में 8 बार (हर 2 से 3 घंटे के अंतराल पर) स्तनपान कराना चाहिए।

Q. राष्ट्रीय स्तनपान सप्ताह क्या है?

A. हर साल अगस्त महीना  कि पहला सप्ताह 1 तारीख से लेकर 7 तारीख तक राष्ट्रीय स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है.

Q. मां का पहला दूध को क्या कहते हैं?

A. कोलोस्ट्रम (colostrum)

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